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Rajasthan ki shabdawali राजस्थान की शब्दावली

 Rajasthan ki shabdawali राजस्थान की शब्दावली नमस्ते साथियों आप सभी लोगों तहेदिल से इस ब्लॉग पर स्वागत है, तो साथियों जैसा कि आप को पता ही हैं कि राजस्थान एक ऐसा प्रदेश हैं जहाँ पर हर जगह अगल अगल बोली बोली जाती है लेक़िन राजस्थानी होने के नाते हमें कुछ राजस्थानी शब्द ( rajasthani shabd ) का ज्ञान भी होना चाहिए चाहे वो किसी परिवेश के लिए हो या फिर किसी सरकारी परीक्षाओं ( sarkari naukri ) के लिए राजस्थानी शब्दावली राजस्थान सरकार द्वारा होने वाले आगामी परीक्षाओं में राजस्थानी भाषा को बढ़ावा देने के लिए इसे इस रीट2021( reet 2021 ) में हिंदी विषय में जोड़ा गया है जैसा कि आप सभी को पहले से ही ज्ञात है तो साथियों आज हम रीट हिंदी 2021 ( reet hindi 2021 ) के सेलेबस को ध्यान में रख कर कुछ राजस्थान की शब्दावली ( rajasthan ki shabdavali )आप को बता रहे जो आपको न ही रीट 2021 ( reet 2021 ) अपितु राजस्थान सरकार ( rajasthan sarkar ) की आने अन्य सरकारी नौकरियों ( govt jobs exmas ) में भी काम आयेगी तो आप इसे ध्यान पूर्वक पढ़े तो शुरू करतें हैं राजस्थान की शब्दावली ( Rajasthan ki shabdavali ) :-

Rajasthan ki shabdawali राजस्थान की शब्दावली
Rajasthan ki shabdawali राजस्थान की शब्दावली

Rajasthan ki shabdawali राजस्थान की शब्दावली

🔰राजस्थान लोक जीवन शब्दावली 🔰

1. बिजूका – (अडवो, बिदकणा) – खेत मेंपशु-पक्षियों से फसल की रक्षा करने के लिए मानव जैसी बनाई गयी आकृति

2. उर्डो, ऊर्यो, ऊसरडो, छापर्यो - ऐसा खेत जिसमे घासऔर अनाज दोनों में से कुछ भी पैदा न होता हो

3. अडाव – जब लगातार काम में लेने से भूमि की उपजाऊशक्ति कम हो जाने पर उसको खाली छोड़ दिया जाता है

4. अखड, पड़त, पडेत्या – जो खेत बिना जुता हुआ पड़ा रहता है

5. पाणत – फसल को पानी देने की प्रक्रिया

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संस्कृत शब्द की उत्पत्ति सम् उपसर्ग पूर्वक कृ धातु व क्त प्रत्यय के योग से हुई है।

सम्   +   कृ   +   क्त (भूतकाल)

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उपसर्ग   धातु      प्रत्यय

- संस्कृत भाषा सभी भाषाओं की जननी कहलाती है।

- संस्कृत भाषा को ‘देवभाषा' देववाणी, भारती इत्यादि नाम से भी जाना जाता है।

- संस्कृत भाषा में उपसर्गो की संख्या = 22 (द्वाविंशति)

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परिभाषा- 'न व्ययं इति अव्ययम्।'

सदृशं त्रिषु लिङ्गेषु, सर्वासु च विभक्तिषु।

वचनेषु च सर्वेषु यन्न व्येति तद् अव्ययम्।।

'जो शब्द तीन लिंगों में, सात विभक्तियों में तथा तीन वचनों में एक जैसा रहता हो, उसे अव्यय कहते हैं।'

उपसर्ग-  उपसर्गों को अव्यय भी कहा जाता है।

-  'उपसर्गाः क्रियायोगे', उपसर्गसंज्ञा विधायक सूत्र

-  संस्कृत भाषा में उपसर्गो की संख्या द्वाविंशति (22) होती है।

-  उपसर्गों का प्रयोग शब्द व धातु से पूर्व में किया जाता है।

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Rajasthan ki shabdawali राजस्थान की शब्दावली

6. बावणी – खेत में बीज बोने को कहा जाता है

7. ढूँगरा, ढूँगरी – जब फसल पक जाने के बाद काट ली जाती उसकोएक जगह ढेर कर दिया जाता है

8. बाँझड – अनुपजाऊ भूमि

9. गूणी – लाव की खींचने हेतु बैलो के चलने काढालनुमा स्थान

10. चरणोत – पशुओं के चरने की भूमि

11. बीड – जिस भूमि का कोई उपयोग में नहीं लिया जाता हैजिसमें सिर्फ घास उगती हो

12. सड़ो, हडो, बाड़ – पशुओं के खेतों में घुसने से रोकने केलिए खेत चारो तरफ बनाई गयी मेड

13. गोफन – पत्थर फेकने का चमड़े और डोरियों से बना यंत्र

14. तंगड-पट्टियाँ – ऊंट को हल जोतते समय कसने की साज

15. चावर, पाटा, पटेला, हमाडो, पटवास – जोते गए खेतों कोचौरस करने का लकड़ी का बना चौड़ा तख्ता

16. जावण – दही जमाने के लिए छाछ या खटाई की अन्य सामग्री

17. गुलेल – पक्षी को मारने या उड़ाने के लिए दो –शाखी लकड़ी पर रबड़ की पट्टी बांधी जाती जसमे में बीच में पत्थर रखकर फेंका जाता है.

18. ठाण – पशुओं को चारा डालने का उपकरण जो लकड़ी या पत्थरसे बनाया जाता है

19. खेली – पशुओं के पानी पिने के लिय बनाया गया छोड़ा कुंड

20. दंताली – खेत की जमीन को साफ करना तथा क्यारी याधोरा बनाने के लिए काम में ली जाती है

21. लाव – कुएँ में जाने तथा कुएँ से पानी को बाहरनिकालने के लिए डोरी को लाव कहा जाता है

22. रेलनी – गर्मी या ताप को कम करने के लिए खेत में पानीफेरना

23. नीरनी – मोट और मूँग का चारा

24. नाँगला – नेडी और झेरने में डालने की रस्सी

25. सींकळौ – दही को मथने की मथनी के साथ लगा लोहेका कुंदा

26. लूण्यो – मक्खन. इसको “घीलडी” नामक उपकरण मेंरखा जाता है

27. ओबरी – अनाज व उपयोगी सामान को रखने के लिय बनाया गयामिट्टी का उपकरण (कोटला)

28. नातणौ- पानी, दूध, छाछ को छानने के काम आने वालावस्त्र

29. थली – घर के दरवाजे का स्थान

30. नाडी – तलाई – पानी के बड़े गड्डो को तलाई आय नाडीकहा जाता है

31. मेर – खेत में हँके हुए भाग के चरों तरफ छोड़ी गयीभूमि

32. जैली – लकड़ी का सींगदार उपकरण

33. रहँट – सिंचाई के लिए कुओं से पानी निकालने का यंत्र

34. सूड – खेत जोतने से पहले खेत के झाड-झंखाड को साफकरना

35. लावणी – किसान द्वारा फसल को काटने के लिए प्रयुक्तकिया गया शब्द

36. खाखला – गेंहू या जौ का चारा

37. दावणा – पशु को चरते समय छोड़ने के लिए पैरों मेंबांधी जाने वाली रस्सी

38. हटडी – मिर्च मसाले रखने का यंत्र

39. कुटी – बाजरे की फसल का चारा

40. ओरणी – खेत में बीज को डालने के लिए हल के साथ लगाईजाती है इसको “नायलो” भी कहते है

41. पराणी, पुराणी – बैलो या भैसों को हाकने की लकड़ी

42. कुदाली, कुश – मिट्टी को खोदने का यंत्र

43. ढींकळी – कुएँ के ऊपर लगाया गया यंत्र जो लकड़ीका बना होता है.

44. चडस – यह लोहे के पिंजरे पर खाल को मडकर बनाया जाताहै जो कुओं से पानी निकालने के काम आता है

45. चू, चऊ – हल के निचे लगा शंक्वाकार लोहे कायंत्र

46. पावड़ा – खुदाई के लिए बनाया गया उपकरण

47. तांती – जो व्यक्ति बीमार हो जाता है उसके सूत या मोलीका धागा बाँधा जाता है यह देवता की जोत के ऊपर घुमाकर बांधा जाता है

48. बेवणी – चूल्हे के सामने राख (बानी) के लिए बनाया गयाचौकोर स्थान

49. जावणी – दूध गर्म करने और दही जमाने की मटकी

50. बिलौवनी – दही को बिलौने के लिए मिट्टी का मटका

51. नेडी – छाछ बिलौने के लिए लगाया गया खूंटा या लकड़ी कास्तम्भ

52. झेरना – छाछ बिलोने के लिए लकड़ी का उपकरण इसको “रई” भीकहते है

53. नेतरा, नेता – झरने को घुमाने की रस्सी

54. छाजलो – अनाज को साफ करने का उपकरण

55. बांदरवाल – मांगलिक कार्यों पे घर के दरवाजे परपत्तों से बनी लम्बी झालर

56. छाणों- सुखा हुआ गोबर जो जलाने के काम आता है

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