अव्यय upasarg and avayav in sanskrit
upasarg and avayav in sanskrit |
परिभाषा- 'न व्ययं इति अव्ययम्।'
सदृशं त्रिषु लिङ्गेषु, सर्वासु च विभक्तिषु।
वचनेषु च सर्वेषु यन्न व्येति तद् अव्ययम्।।
'जो शब्द तीन लिंगों में, सात विभक्तियों में तथा तीन वचनों में एक जैसा रहता हो, उसे अव्यय कहते हैं।'
नियम-1. अव्ययीभाव समास में निष्पन्न शब्द अव्यय कहलाते हैं।
उदाहरण- यथाशक्ति, प्रत्येकम्, प्रतिदिनम्, उपगङ्गम, सप्तगङ्गम्, द्वियमुनम अधिगोपम्।
नियम-2. क्त्वा प्रत्यय में निष्पन्न शब्द अव्यय कहलाते हैं।
उदाहरण- पठित्वा, लिखित्वा, गत्वा, ज्ञात्वा, हत्वा, दृष्टवा।
नियम-3. ल्यप् प्रत्यय से निष्पन्न शब्द अव्यय माने जाते हैं।
दाहरण-
संपठ्यः - सम् उपसर्ग + पठ् धातु + ल्यप् प्रत्यय
संरक्ष्य - सम् उपसर्ग + रक्ष् धातु + ल्यप् प्रत्यय
आदायः - आ उपसर्गः + दा धातु + ल्यप् प्रत्यय
नियम-4. तुमुन् प्रत्यय से निष्पन्न शब्द अव्यय कहलाता है।
उदाहरण- पठितुम्, गन्तुम्, द्रष्टुम्
नियम-5.
उपसर्ग
- उपसर्गों को अव्यय भी कहा जाता है।
- 'उपसर्गाः क्रियायोगे', उपसर्गसंज्ञा विधायक सूत्र
- संस्कृत भाषा में उपसर्गो की संख्या द्वाविंशति (22) होती है।
- उपसर्गों का प्रयोग शब्द व धातु से पूर्व में किया जाता है।
उपसर्ग | उदाहरण |
प्र-आगे/अधिक | प्रदेश: प्राचार्य, प्रवासः, प्रयोगः, प्रचलनम्, प्रकारः, प्रयोजनम्, प्रचलित, प्रभुः, प्रवेशः |
परा-पीछे | पराजयः,पराभवति,पराजयते,पराक्रमति, परावर्तते पराधीन-परा + अधीन (आ+अ = आ) |
अप-कम/न्यून | अपमानः,अपहरति,अपहरणम्, अपकरोति,अपकीर्तिः, अपकारः |
सम्-अच्छा/उचित | संस्कृतः, सन्तोषः, संभवति, संस्कृत, संस्करोति, संचरति |
अनु-पीछे समान | अनुचरः, अनुवादः,अनुगच्छति, अनुकरोति, अनुज्ञा,अनुधावति, अनुभवति |
अव-बुरा/हीन | अवगुणः,अवशेषः, अवगच्छति, अवसारः, अवभवति |
निस्-निषेध | निश्छलः, निश्चय, निष्कामः, निष्पाप, निस्तेज |
निर्-बाहर निषेध/बिना | नीरोगः, नीरसः, निरपराधः, निर्गच्छति, निराशाः |
दुस्-बुरा विपरीत | दुष्कर्म, दुश्चरति, दुश्चरित्रम्, दुष्करोति, दुःशासन |
दुर्-बुरा/विपरीत | दुर्जनः, दुर्गमः, दुराचरणम्, दुरुपयोगः, दुर्व्यवहार |
वि-विशेष | विजयः, वियोगः, विरचति, विहरति, विलापः, विच्छेदः, विवाहः |
आङ् (आ) तक/से | आहारः, आगच्छति, आकरोति, आगमः, आजीवनम्, आनयति, आरक्षणम् |
नि-नीचे/निषेध | निवासः, न्यूनतम्, न्यूनः, निवसति, निचलति |
अधि-श्रेष्ठ/प्रधान | अध्यास्ते, अधिशेते, अधितिष्ठति, अध्यक्ष:, अध्ययनम्, अधिगच्छति |
अभि-सामने/समीप | अभ्यागत:, अभिवादनम्, अभिगच्छति, अभिभाषणम् |
अति-अधिक/बहुत | अत्यधिकम्, अतिक्रमणम्, अत्यन्तम्, अतिसारः |
अपि-भी | अपिहितम्, अपिगच्छति, अपिधानम् |
सु-अच्छा/सरल | स्वागतम्, स्वच्छ:, स्वल्पम्, सुसंगति (सु, सम्), सूक्तिः, सुशीलः, सुविचारः |
उद्-ऊपर | उल्लेखः, उच्चारणम्, उद्गच्छति, उज्ज्वलः, उत्कीर्णम् |
प्रति-प्रत्येक/विपरीत | प्रत्येकम्, प्रतिदिनम्, प्रत्यागच्छति, प्रत्युत्तरः, प्रतिरुपम्, प्रत्यपुकारः (प्रति, उप) |
परि-चारो ओर/पास | पर्यावरणम्, परिवारः, परिगच्छति, परिहरति, परिवसति, परिचलति |
उप-समीप/पास | उपयमुनम्, उपगङ्गम्, उपगच्छति, उपदेशः, उपवासः, उपप्रमुख, उपकरोति |
अव्यय शब्द व अर्थ
अव्यय | अर्थ | अव्यय | अर्थ |
अत्र | यहाँ | कत्थम् | कैसे/किस प्रकार |
तत्र | वहाँ | इदानीम् | इस समय |
कदा | कब | अद्य | आज |
कुत्र | कहाँ | श्वः | आने वाला कल |
ह्यः | बीता हुआ कल | सह | साथ |
साकं | साथ | सायम् | शाम |
सहसा | अचानक | प्रातः | सुबह |
युगपद् | जोड़ा/एक साथ | अभितः | दोनों ओर |
परितः | चारों ओर | समया/निकषा | समीप/पास |
धिक् | धिक्कार | अलं | पर्याप्त/निषेध |
नमः | नमस्कार | स्वस्ति | कल्याण |
प्रति | की ओर | तथा | वैसे |
एव | ही | यथा | जैसे |
अपि | भी | च | और |
अधुना | अब/आज | वा | विकल्प |
अन्तरा | मध्य में | पुनः | बार-बार |
अन्तरेण | मध्य में | सर्वत्र | सभी जगह |
शनैः-शनैः | धीरे-धीरे | उच्चै | ऊँचा |
कदापि | कभी भी | नीचै | नीचा |
उदाहरण
- मोहन अद्य धौलपुरं गमिष्यति।
- शिवः शनैः-शनैः ग्रामं गच्छति।
- श्यामः संस्कृतमुच्चैः वदति।
- रमा नीचैः शब्दं करोति।
- श्री दुर्गादेव्यै नमः।
- श्री गणेशाय: नमः।
- शिवः लतया सह वनं गतवान्।
- उद्यानं निकषा ग्रामः अस्ति।
- इदानीम् रामः कार्यं करोति।
- धिक् कृष्णाभक्तम्।
- दैत्येभ्यः हरिः अलम्।
- अलं विवादेन।
- अधुना त्वं किं करोषि।
- त्वं कुत्र वससि
0 Comments
Thankyou