Computer knowledge in hindi - computer history
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CHAPTER : 1
BASIC COMPUTER KNOWLEDGE
Computer Word लेटिन भाषा के Compute Word से बना है। Compute का अर्थ हैं Calculate करना। कम्प्युटर एक इलेक्ट्रॉनिक प्रणाली है जो निर्देशों के समूह (प्रोग्राम) के नियन्त्रण में डाटा या तथ्य पर क्रिया (Process) करके सूचना (Information) उत्पन्न (Generate) करता हैं। कम्प्युटर में डाटा (Data) को स्वीकार (Accept) करके प्रोग्राम को क्रियान्वित करने की क्षमता होती हैं, यह डाटा पर गणितीय (Mathematical) व तार्किक (Logical) क्रियाओं को करने में सक्षम होता हैं। कम्प्युटर में डाटा (Data) स्वीकार करने के लिए इनपुट डिवाइस (Input Device) होती हैं। प्रोसेसिंग (Processing) का कार्य जिस डिवाइस में होता है, उसे सेंट्रल प्रोसेसिंग यूनिट (Central Processing Unit) कहते हैं। यह कम्प्युटर का मस्तिष्क होता हैं-
दूसरे शब्दों में, कम्प्युटर एक ऐसी Electronic Device हैं, जिसमें निम्नलिखित क्षमताएँ होती हैं-
· मानव या यूजर (User) द्वारा प्रदत्त (Supplied) डाटा को स्वीकार (Accept) करना।
· स्वीकृत डाटा और निर्देशों को संग्रहित या Store करके निर्देशों (Instructions) को कार्यान्वित करना।
· गणितीय क्रियाओं (Mathematical Operations) व तार्किक क्रियाओं (Logical Operations) को आन्तरिक इलेक्ट्रॉनिक परिपथ में कार्यान्वित करना।
· प्रयोक्ता (User) को आवश्यकतानुसार आउटपुट (Output) या परिणाम देना।
History of Computer :-
कम्प्युटर के इतिहास की शुरूआत ABACUS (3000 BC) से मानी जा सकती हैं। ABACUS एक Mechanical Device था। जिसका प्रयोग संख्याओं के Addition, Subtraction, Multiplication, Division के लिए उस समय के व्यापारियों द्वारा किया जाता था। कई वर्षों बाद कुछ मशीन Develop की गई जो Numeric Values को जोड़ने व घटाने का कार्य करती थी। जैसे Blaise Pascal की Calculating Machine जो 1642 में Develop की गई थी। यह मशीन Multiplication तथा Division के कार्य भी कर सकती थी।
1804 फ्रांस के बुनकर जोसेफ जेकार्ड ने ऐसा Loom बनाया जो Punched Card के द्वारा instruction प्राप्त कर Operate होती थी। कुछ वर्षों बाद Charles Babbage जिन्हें Father of Computer कहा जाता हैं, ने एक ऐसी मशीन बनाई जिसे Analytical Engine कहा गया था। जिसे instruction द्वारा संचालित किया जाता था। ये instructions पहले ही Punch Card द्वारा मशीन में Store करके रखे जा सकते थे। Analytical Engine Mathematical Calculation को 60 Instructions Per Minute की Speed से कर लेता था। तथा जिससे कई Typical (जटिल) गणितीय Problem Solve की जा सकती थी।
Key Board Machine का आरम्भ अमेरिका में 1880 के लगभग हुआ। और 1937 में I.B.M. ने (International Business Machine) पहली मशीन Mark-I बनाई। इन मशीनो के प्रयोग में दो मुख्य समस्याएँ थी।
(1) Speed - जो कि मशीन के Parts के चलने के समय के आधार पर सीमित थी।
(2) मशीन बंद होना - Parts के टूट जाने तथा घिस जाने के कारण मशीन बार-बार बंद हो जाती थी।
इन समस्याओं को दूर करने के लिए Electronics के प्रयोग को दिशा मिली तथा दूसरे विश्व युद्ध के Period में Electronic Data Processing Machine का विकास हुआ।
1940 के दशक में एक महत्त्वपूर्ण अवधारणा प्रचलित हुई जो कि अभी तक अधिकांश कम्प्युटर का आधार हैं। इसे John Von Newman अवधारणा के नाम से जाना जाता हैं। इसे Stored Programme अवधारणा भी कहते हैं। John Von Newman ने बताया कि डाटा व instruction को Computer में Stored करके रखा जा सकता हैं।
किसी भी कम्प्युटर में internal working के लिए binary method का प्रयोग किया जा सकता हैं।
सही अर्थों में प्रथम इलेक्ट्रॉनिक कम्प्युटर ENIAC (Electronic Numerical Intregrater & Calculator था। इसका निर्माण 1943 में Mour School of Engineering Pensilvania विश्वविद्यालय में किया गया था। इसमें 18000 Vacuum Tubes का प्रयोग किया गया था और यह आकार में 20 x 40 sq. feet के थे। इसे Values को जोड़ने में इसे 200 Micro Seconds का समय लगता था तथा यह यह Mark-I से अधिक Fast था। परन्तु इसमें भी कमियाँ थी, जैसे :-
(1) यह केवल कुछ सीमित संख्याओं को ही Storage करके रख सकता था।
(2) इसमें प्रोग्राम तारों से जुड़े Circuit के रूप में होते थे। अतः प्रोग्राम में changes तारो को बदल कर ही किया जा सकता था। जो एक कठिन कार्य था।
इस समस्या को बाद में John Von Newman के Stored Programme Concept ने दूर किया। इस Concept की Main अवधारणा यह है कि Memory में न केवल Data बल्कि instruction को क्रमिक रूप से रखा जा सकता हैं। जिससे कि कम्प्युटर अपने आप ही एक-एक कर उनके Instruction को follow करते हुए उचित कार्य कर सके। इस Concept पर आधारित प्रथम कम्प्युटर America का EDVAC था। इसके बाद कम्प्युटर के विकास क्रम को उनकी Generation के According define किया गया।
1.1 Characteristics of Computer :-
(1) High Speed (तेज गति) - Computer किसी भी मशीन की अपेक्षा सबसे Fast Speed से कार्य करता हैं। For example दो Numeric Values को Add करने में Micro Seconds से भी कम समय लगाता हैं। एक Micro Second में Computer 10 लाख से भी अधिक mathematical calculation कर सकता हैं।
(2) Accuracy (शुद्धता) - जब भी किसी व्यक्ति को एक ही प्रकार का कार्य बार-बार करना पड़ता हैं तो उसे थकावट होने लगती हैं ओर उस कार्य में गलतियां होने की संभावना बढ़ जाती हैं पर कम्प्युटर के साथ किसी भी एक Process को बार-बार करने पर ऐसा कभी नहीं होगा कि Computer दो अलग-अलग Result दें। यदि कम्प्युटर कभी गलत Result Display करता हैं तो उसका कारण कम्प्युटर नहीं बल्कि User हैं। जिसने गलत Data अथवा Program use में लिया हैं।
(3) Versatile (उपयोगिता) - कम्प्युटर विभिन्न क्षेत्रों में विभिन्न प्रकार से उपयोगी हैं। जैसे Bill Create करना, Reports तैयार करना, Mathematical Problem Solve करना, Diagram बनाना etc.
(4) Diligent (कार्य करने की क्षमता) - मनुष्य की तरह कम्प्युटर कभी थकता नहीं हैं। अतः जहाँ किसी एक ही प्रकार के कार्य को बार-बार करना हो वहाँ कम्प्युटर एक अच्छा Assistant साबित हो सकता हैं तथा बिना रूके उस कार्य को उसी प्रकार पूरा करेगा जिस प्रकार First Time Complete किया था।
(5) Storage Capacity (भण्डारण क्षमता)- Computer अपनी Memory में कई प्रकार की Information Store करके रख सकता हैं। तथा आवश्यकता होने पर desired information को उपलब्ध भी करा सकता हैं।
Limitations :-
(1) Lack of IQ (सोचने की क्षमता नहीं होना) - कम्प्युटर में कुछ भी अपने आप सोचने की तथा Decision लेने की Capacity नहीं होती। यह केवल वही कार्य करता हैं जिसे करने का Order उसे दिया जाता हैं। कम्प्युटर से कार्य कराने के लिए प्रोग्राम बनाने होते हैं और कम्प्युटर प्रोग्राम के अनुसार कार्य करता हैं। कम्प्युटर स्वयं उपलब्ध Alternative में से सही विकल्प Select करने में असमर्थ हैं।
(2) Feeling Less (महसूस नहीं कर सकता) - Computer एक Machine हैं और उसके कार्य करने में Feelings का कोई स्थान नहीं हैं।
(3) Do Not Learn From Past Experience :- Computer को एक ही तरह का कार्य करने के लिए बार-बार निर्देशित करना पड़ता हैं। पिछले कार्यों से वह कुछ भी नहीं सिखता तथा प्रत्येक कार्य के लिए बार-बार निर्देश पर निर्भर रहता हैं।
(4) Limited Memory (सीमित मैमोरी) -Computer में Primary व Secondary दोनों प्रकार की Memory उपलब्ध होती हैं। फिर भी उसकी Memory Limited होती हैं।
(5) Gigo - (Garbage in Garbage out) - यदि गलत Data या Instruction Computer को दिया जाए तो वह निश्चित रूप से गलत Result Display करेगा। कम्प्युटर स्वयं Debugging का कार्य नहीं कर सकता।
1.2 Input, Output, Storage Units :-
Input Devices :-
ये Computer व User के मध्य सम्पर्क की सुविधा प्रदान करते हैं। Input Device दिये गये Data और Programmes को कम्प्युटर के समझने योग्य रूप में परिवर्तित करते हैं। ये Devices Character, Numericals तथा अन्य चिह्नों को 0 तथा 1 Bit में Convert करते हैं, जिन्हें कम्प्युटर समझ सकता है तथा Data Processing कर सकता हैं। Input Device सीधे computer के नियंत्रण में रहते हैं।
Output Devices :-
जिस उपकरण की सहायता से CPU से आने वाली सूचनाओं या परिणामों को हम प्राप्त कर सकते हैं, उन्हें हम आउटपुट डिवाइस कहते हैं। कम्प्युटर से प्राप्त परिणाम दो प्रकार के होते हैं-
(1) Soft Copy (2) Hard Copy
यदि परिणाम से प्राप्त सूचनाओं को किसी प्रोग्राम माध्यम से Screen पर देखा जा सके या आवाज के रूप में प्राप्त किया जा सके तथा जिसे बार-बार परिवर्तित भी किया जा सके, Softcopy कहलाती हैं। इन परिणामों को Floppy, Hard Disk पर स्टोर किया जा सकता हैं।
जब Result को प्रिन्टर अथवा Plotter द्वारा कागज पर प्रिन्ट किया जाता हैं तो यह Printouts hardcopy कहलाते हैं।
परिणामों को देखने के लिए विभिन्न प्रकार के आउटपुट डिवाइस हैं-
(1) Monitor (2) Printer
(3) Plotter
(4) Sound Card & Speaker
1.3 CPU, Computer Systems
कम्प्युटर प्रणाली (Computer System) :-
एक या एक से अधिक लक्ष्यों को हासिल करने के लिए कार्यरत इकाइयों के समुह को एक प्रणाली (System) कहते हैं। जैसे-अस्पताल एक प्रणाली हैं, जिसकी इकाइयाँ (भाग) हैं-डॉक्टर, नर्स, चिकित्सा के उपकरण, ऑपरेशन थियेटर, मरीज आदि तथा इसका लक्ष्य हैं मरीजों की सेवा व चिकित्सा। इसी प्रकार कम्प्युटर भी एक सिस्टम (System) के रूप में कार्य करता हैं, जिसके निम्नलिखित भाग या इकाईयाँ (Units) है -
Computer Hardware :- कम्प्युटर के यांत्रिक (Mechanical), वैद्युत (Electrical) तथा इलेक्ट्रॉनिक (Electronic) भाग, कम्प्युटर हार्डवेयर कहलाते हैं। दूसरे शब्दों में, कम्प्युटर तंत्र की वह इकाई जिन्हें देखा जा सकता हो तथा स्पर्श किया जा सकता हो, वे हार्डवेयर कहलाते हैं, जैसे- मॉनीटर, की-बोर्ड आदि।
Computer Software :- ये वे प्रोग्राम (Program) हैं जो कम्प्युटर को यह निर्देश देते हैं कि किस प्रकार डाटा की प्रोसेसिंग की जाये और आवश्यक सूचना और परिणामों को प्राप्त किया जाये। दूसरे शब्दों में, कम्प्युटर तंत्र की वह इकाई जो कम्प्युटर हार्डवेयर के संसाधनों का उपयोग करती हैं, वे Software कहलाते हैं, जैसे - ऑपरेटिंग सिस्टम।
कम्प्युटर पर्सनल (Computer Personel) या प्रयोक्ता (User) :- वे लोग जो कम्प्युटरीकृत (Computerized) डाटा तैयार करते हैं, प्रोग्राम (Program) लिखते हैं, कम्प्युटर को चलाते हैं और आउटपुट प्राप्त करते हैं, कम्प्युटर पर्सनल (Computer Personal) या प्रयोक्ता (User) कहलाते हैं।
एक Computer System प्रभावशाली रूप में से तभी कार्य कर सकता हैं, जब इसके तीनों भाग (Components) सुचारू रूप से क्रियाशील हों। किसी भी एक भाग (Component) के क्रियाशील न होने की दशा में सम्पूर्ण कम्प्युटर सिस्टम काम नहीं कर सकेगा।
कम्प्युटर सिस्टम को निम्न Block Diagram द्वारा भी समझा जा सकता हैं-
Central Processing Unit: -
CPU कम्प्युटर का मस्तिष्क होता हैं। इसका मुख्य कार्य प्रोग्रामों (Programs) को क्रियान्वित (Execute) करना होता हैं। इसके अलावा CPU कम्प्युटर के सभी भागों, जैसे - मैमोरी, इनपुट और आउटपुट डिवाइसेज के कार्यों को भी नियंत्रित करता हैं। प्रोग्राम और डाटा, इसके नियंत्रण में मैमोरी में संग्रहित होते हैं। इसी के नियंत्रण में परिणाम स्क्रीन (Screen) पर दिखाई देता हैं या प्रिंटर के द्वारा कागज पर प्रिंट करवाया जा सकता हैं।
सेन्ट्रल प्रोसेसिंग यूनिट के तीन भाग होते हैं। ये निम्नलिखित हैं-
· ऐरिथमेटिक व लॉजिक यूनिट (Arithmetic & Logic Unit)
· मुख्य मेमोरी यूनिट (Main Memory Unit)
· कन्ट्रोल यूनिट (Control Unit)










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