शिक्षा शब्द के विभिन्न अर्थ - मनोविज्ञान
दोस्तों यह मनोविज्ञान विषय का 6 भाग है हमारे इस ब्लॉग में रीट लेवल 2 के मनोविज्ञान विषय का पूरा सेलेब्स पोस्ट होगा तो आप मनोविज्ञान से जुड़ी सारी पोस्ट अवश्य पढ़े जिससे आप को मनोविज्ञान विषय में रुचि ओर अध्ययन करने के लिए गुणवत्तापूर्ण नोट्स मिल सके ।
शिक्षा का अर्थ एवं परिभाषा -
समान्यतः माना जाता है कि शिक्षा शब्द संस्कृत के शिक्ष धातु में अ प्रत्यय लगने से बना है, जिसका अर्थ सीखने सीखने की क्रिया होता है।
परन्तु वास्तविक अर्थो में देखा जाए तो शिक्षा शब्द की उत्पत्ति वैदिक काल में हुई थी जब एक बालक गुरु के आश्रम में शिक्षा ग्रहण करने के लिए जाता था तब गुरु उसके अज्ञान रूपी अंधकार को मिटाकर ज्ञान रूपी प्रकाश देता था जिससे उस बालक का व्यवहार प्रकाश मान या परिमार्जित होता था।
शिक्षा शब्द के विभिन अर्थ :
(1) सामान्य प्रचलित अर्थ - सीखने - सिखाने की क्रिया
(2) वास्तविक अर्थ - प्रकाशित/परिमार्जित करने वाली क्रिया
(3) संकुचित अर्थ - किसी विद्यालय या महाविद्यालय में पढ़ना
(4) व्यापक अर्थ - जीवन प्रयत्न व्यक्ति प्रत्येक परिस्थिति में प्रत्येक स्थान पर सार्वभौमिक रुप से सीखता है ।
शिक्षा का शाब्दिक अर्थ :
शिक्षा शब्द के अर्थ को स्पष्ट करने के लिए इसके अंग्रेजी रूप EDUCATION को समझा जा सकता है, EDUCATION शब्द का निर्माण के अनुसार निम्न प्रायः है ।
शिक्षा निर्माण प्रकार :
शिक्षा शब्द के निर्माण के लिए कई लोग दो मत देते है
पहला मत - कि शिक्षा शब्द लैटिन भाषा के EDUCATUM शब्द से लिया गया है
जिसमे E (ए) का अर्थ होता है कि - अंदर से
एवं
DUCO (ड्युको) जिसका अर्थ होता है कि - बाहर निकलना
ओर
दूसरा मत - कुछ लोग कहते है कि शिक्षा शब्द
लेटिन भाषा के EDUCARE से लिया गया है जिसका अर्थ - आगे बढ़ाना ओर विकसित करना है
एवं
EDUCARE जिसका अर्थ - आगे करना, गति देना अंदर से बाहर निकलना
बाद में दूसरे मत पे ज्यादा ज़ोर दिया गया ।
जिसको हम इस फ़ोटो के द्वारा आसानी से समझ सकते है
EDUCATION के दो मत है -
शिक्षा का व्यापक अर्थ एवं वास्तविक अर्थ :
जिस प्रकार से एक बीज में शक्तियां पाई जाती हैं कि उसे यदि उचित जल प्रकाश वायु एवं मिट्टी के सम्पर्क में ले जाया जाता है, तो उसमें विभिन्न प्रकार से अंकुरण होकर पौधा बनने व अपने जैसे सेकड़ो दूसरे बीज पैदा करने की क्षमता पाई जाती है उसी प्रकार से एक बालक में भी कुछ जन्म जात शक्तियां होती है, जो उचित शेक्षिक वातावरण मिल जाने पर प्रकट हो जाती है ।
इसे निम्न विचारों से समझा जा सकता है ।
नमस्ते दोस्तो इसके आगे का भाग आप को मेरी अगली पोस्ट में मिलेगा क्योकि ये पोस्ट बहुत बड़ा हो जाएगा
दोस्तों यह मनोविज्ञान विषय का 6 भाग है हमारे इस ब्लॉग में रीट लेवल 2 के मनोविज्ञान विषय का पूरा सेलेब्स पोस्ट होगा तो आप मनोविज्ञान से जुड़ी सारी पोस्ट अवश्य पढ़े जिससे आप को मनोविज्ञान विषय में रुचि ओर अध्ययन करने के लिए गुणवत्तापूर्ण नोट्स मिल सके ।
शिक्षा का अर्थ एवं परिभाषा -
समान्यतः माना जाता है कि शिक्षा शब्द संस्कृत के शिक्ष धातु में अ प्रत्यय लगने से बना है, जिसका अर्थ सीखने सीखने की क्रिया होता है।
परन्तु वास्तविक अर्थो में देखा जाए तो शिक्षा शब्द की उत्पत्ति वैदिक काल में हुई थी जब एक बालक गुरु के आश्रम में शिक्षा ग्रहण करने के लिए जाता था तब गुरु उसके अज्ञान रूपी अंधकार को मिटाकर ज्ञान रूपी प्रकाश देता था जिससे उस बालक का व्यवहार प्रकाश मान या परिमार्जित होता था।
शिक्षा शब्द के विभिन अर्थ :
(1) सामान्य प्रचलित अर्थ - सीखने - सिखाने की क्रिया
(2) वास्तविक अर्थ - प्रकाशित/परिमार्जित करने वाली क्रिया
(3) संकुचित अर्थ - किसी विद्यालय या महाविद्यालय में पढ़ना
(4) व्यापक अर्थ - जीवन प्रयत्न व्यक्ति प्रत्येक परिस्थिति में प्रत्येक स्थान पर सार्वभौमिक रुप से सीखता है ।
शिक्षा का शाब्दिक अर्थ :
शिक्षा शब्द के अर्थ को स्पष्ट करने के लिए इसके अंग्रेजी रूप EDUCATION को समझा जा सकता है, EDUCATION शब्द का निर्माण के अनुसार निम्न प्रायः है ।
शिक्षा निर्माण प्रकार :
शिक्षा शब्द के निर्माण के लिए कई लोग दो मत देते है
पहला मत - कि शिक्षा शब्द लैटिन भाषा के EDUCATUM शब्द से लिया गया है
जिसमे E (ए) का अर्थ होता है कि - अंदर से
एवं
DUCO (ड्युको) जिसका अर्थ होता है कि - बाहर निकलना
ओर
दूसरा मत - कुछ लोग कहते है कि शिक्षा शब्द
लेटिन भाषा के EDUCARE से लिया गया है जिसका अर्थ - आगे बढ़ाना ओर विकसित करना है
एवं
EDUCARE जिसका अर्थ - आगे करना, गति देना अंदर से बाहर निकलना
बाद में दूसरे मत पे ज्यादा ज़ोर दिया गया ।
जिसको हम इस फ़ोटो के द्वारा आसानी से समझ सकते है
EDUCATION के दो मत है -
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शिक्षा का व्यापक अर्थ एवं वास्तविक अर्थ :
जिस प्रकार से एक बीज में शक्तियां पाई जाती हैं कि उसे यदि उचित जल प्रकाश वायु एवं मिट्टी के सम्पर्क में ले जाया जाता है, तो उसमें विभिन्न प्रकार से अंकुरण होकर पौधा बनने व अपने जैसे सेकड़ो दूसरे बीज पैदा करने की क्षमता पाई जाती है उसी प्रकार से एक बालक में भी कुछ जन्म जात शक्तियां होती है, जो उचित शेक्षिक वातावरण मिल जाने पर प्रकट हो जाती है ।
इसे निम्न विचारों से समझा जा सकता है ।

3 Comments
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ReplyDeleteUseful information..Thanks sir
ReplyDeleteUseful information..Thanks sir
ReplyDeleteThankyou